Sunday, January 3, 2016

मैं मन ही मन अकेले में तुम्हीं से बात करता हूँ

तुम्हारे साथ बीते पल को हर पल याद करता हूँ
इन्हीं यादों से जीवन को मैं नित आबाद करता हूँ
मैं जी भर जी रहा हूँ इसलिए इस हाल से खुद को
नहीं आज़ाद करता हूँ नहीं फरियाद करता हूँ

मुझे जुल्फों की साये में जरा सोने का अवसर दो
वो तेरी झील सी आँखें, मुझे खोने का अवसर दो
हृदय की भावना कह दूँ हजारों प्रश्न भी उठते
अजब हालात दुनिया के मुझे रोने का अवसर दो

किसी का स्वप्न में भी मैं नहीं आघात करता हूँ
नहीं शतरंज जीवन है न शह या मात करता हूँ
खुशी से जी सकूं हर पल हमेशा इसलिए यारा
मैं मन ही मन अकेले में तुम्हीं से बात करता हूँ

इधर देखूं, उधर देखूं, धरा देखूं, गगन देखूं
बसी आँखों में इक सूरत हमेशा मैं सजन देखूं
बहुत संघर्ष जीवन में वजूद अपना बचाने को
भले कांटे हजारों पर जहाँ देखूं, सुमन देखूं


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