सुख दुख मेरे सर रहने दो
घर को लेकिन घर रहने दो
बचे प्यार तो सबकुछ बचता
दिल को मत बंजर रहने दो
सब अच्छे हैं मेरे घर में
मुझको ही कमतर रहने दो
जो तालाब करे नित गन्दा
वो मछली बाहर रहने दो
कौन खरीदेगा त्यागी को
तुम गहना जेवर रहने दो
घर पहले फिर गांव शहर है
प्यारा सा मंजर रहने दो
है फकीर मत छेड सुमन को
शायर है शायर रहने दो
घर को लेकिन घर रहने दो
बचे प्यार तो सबकुछ बचता
दिल को मत बंजर रहने दो
सब अच्छे हैं मेरे घर में
मुझको ही कमतर रहने दो
जो तालाब करे नित गन्दा
वो मछली बाहर रहने दो
कौन खरीदेगा त्यागी को
तुम गहना जेवर रहने दो
घर पहले फिर गांव शहर है
प्यारा सा मंजर रहने दो
है फकीर मत छेड सुमन को
शायर है शायर रहने दो
No comments:
Post a Comment