देश नहीं केवल शासक का, है मजदूर किसान का
गला घोंटते जो दशकों से, जनता के अरमान का
प्राकृतिक दौलत से भारत जगह जगह भरपूर है
यहाँ की प्रतिभा, दुनिया वाले कहते जग का नूर है
फिर भी हालत बदतर है क्या दोष भला भगवान का
गला घोंटते जो दशकों से ---------
बारह आने घर में चूल्हे, दोनों वक्त नहीं जलते
अगणित बच्चे कचरे चुन के या जूठन पे हैं पलते
शासक खोजे नया तरीका, शोषण के विज्ञान का
गला घोंटते जो दशकों से ---------
आजादी के दीवानों के सपने टूटे, बिखर रहे
घर घर नारी है मुश्किल में क्यों आतंकी थिरक रहे
जागो यारों, बदल ना जाए, नक्शा हिन्दुस्तान का
गला घोंटते जो दशकों से ----------
गला घोंटते जो दशकों से, जनता के अरमान का
प्राकृतिक दौलत से भारत जगह जगह भरपूर है
यहाँ की प्रतिभा, दुनिया वाले कहते जग का नूर है
फिर भी हालत बदतर है क्या दोष भला भगवान का
गला घोंटते जो दशकों से ---------
बारह आने घर में चूल्हे, दोनों वक्त नहीं जलते
अगणित बच्चे कचरे चुन के या जूठन पे हैं पलते
शासक खोजे नया तरीका, शोषण के विज्ञान का
गला घोंटते जो दशकों से ---------
आजादी के दीवानों के सपने टूटे, बिखर रहे
घर घर नारी है मुश्किल में क्यों आतंकी थिरक रहे
जागो यारों, बदल ना जाए, नक्शा हिन्दुस्तान का
गला घोंटते जो दशकों से ----------
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