सुख सुविधा की है कमी, पर ममता की छाँव।
बदल रहे सब कुछ मगर, गाँव आज भी गाँव।।
इक दूजे को मानते, अपना घर परिवार।
यही खासियत गाँव की, आता दिल में प्यार।।
काकी, भौजी गाँव भर, रिश्ते में सब लोग।
अवसर आने पर करे, आपस में सहयोग।।
बनते रिश्ते शहर में, ज्यों मुट्ठी में रेत।
मिलकर जीते गाँव में, चाहे घर या खेत।।
साथ निभाते गाँव में, भले दुखद हो मोड।
आपस के विश्वास का, है अनुपम गठजोड।।
बिजली मिलती कम मगर, शीतल मन्द बयार।
नभ में तारे देखकर, लगा, मिला उपहार।।
रोटी खातिर शहर में, सुना दशक से शोर।
रोज सुमन खुद से कहे, चलो गाँव की ओर।।
बदल रहे सब कुछ मगर, गाँव आज भी गाँव।।
इक दूजे को मानते, अपना घर परिवार।
यही खासियत गाँव की, आता दिल में प्यार।।
काकी, भौजी गाँव भर, रिश्ते में सब लोग।
अवसर आने पर करे, आपस में सहयोग।।
बनते रिश्ते शहर में, ज्यों मुट्ठी में रेत।
मिलकर जीते गाँव में, चाहे घर या खेत।।
साथ निभाते गाँव में, भले दुखद हो मोड।
आपस के विश्वास का, है अनुपम गठजोड।।
बिजली मिलती कम मगर, शीतल मन्द बयार।
नभ में तारे देखकर, लगा, मिला उपहार।।
रोटी खातिर शहर में, सुना दशक से शोर।
रोज सुमन खुद से कहे, चलो गाँव की ओर।।
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