Saturday, April 16, 2016

शब्द सुमन बेकार नहीं है

जहाँ दिलों में प्यार नहीं है
फिर शब्दों में धार नहीं है

बिना तजुर्बे की बातों के
अर्थो को आधार नहीं है

मंत्री, संत्री, वादे, नारे
पर दिखती सरकार नहीं है

लोकतंत्र में अपने ढंग से
जीने का अधिकार नहीं है

खबरों में खुशियाँ लोगों की
दुख का पारावार नहीं है

सत्ताधारी जो कुछ करते
बिल्कुल भ्रष्टाचार नहीं है

बातें कम पर यही हकीकत
शब्द सुमन बेकार नहीं है

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