साज वही, श्रृंगार वही है
दुखियों का संसार वही है
युग बदला कहते हैं सारे
युग का भ्रष्टाचार वही है
बेचे श्रम को तन भी बिकते
बिकने को बाजार वही है
रोटी पहले फिर ये दुनिया
जीवन का आधार वही है
शासक बदले युगों युगों से
सत्ता का व्यवहार वही है
आमलोग जब हाथ मिलाते
शोषण का निस्तार वही है
सदा सुमन शोषित के संग में
आमजनों से प्यार वही है
दुखियों का संसार वही है
युग बदला कहते हैं सारे
युग का भ्रष्टाचार वही है
बेचे श्रम को तन भी बिकते
बिकने को बाजार वही है
रोटी पहले फिर ये दुनिया
जीवन का आधार वही है
शासक बदले युगों युगों से
सत्ता का व्यवहार वही है
आमलोग जब हाथ मिलाते
शोषण का निस्तार वही है
सदा सुमन शोषित के संग में
आमजनों से प्यार वही है
7 comments:
बहुत बढ़िया.....
अनु
रोटी पहले फिर ये दुनिया
जीवन का आधार वही है
शासक बदले युगों युगों से
सत्ता का व्यवहार वही है
आज के कटु सत्य को कितनी सुंदर गज़ल के रूप में पेश किया है।
श्यामल सुमन जी, बेहतरीन और शानदार कविताएं निकलती है आपकी कलम से। अध्ययन करने पर बहुत अच्छा लगा। आपके ब्लाॅग को हमने Best Hindi Blogs में लिस्टेड किया है।
ये ग़ज़ल कह रही है की आने वाले और बीते हुए कल में सतयुग खोजना व्यर्थ है। आपसे जितनी बात होती है एक बात होती है की आज में जीना है।
http://jobmantra.net/site_17.xhtml
अगर आप ऑनलाइन काम करके पैसे कमाना चाहते हो तो हमसे सम्पर्क करें हमारा मोबाइल नम्बर है +918017025376 ब्लॉगर्स कमाऐं एक महीनें में 1 लाख से ज्यादा or whatsap no.8017025376 write. ,, NAME'' send ..
manoramsuman.blogspot.de/2016/04/blog-post_2.html
Post a Comment