Sunday, April 30, 2017

जीत गए तो हार

हर   हालत  में   हार  है,  हार   जगत - श्रृंगार।
जीत  बिना  भी  हार  है,  जीत  गए  तो  हार।।

सबको  मरना  एक  दिन, अक्सर  कहते लोग।
पर  डरते  सब  मौत  से, घर - घर  में यह रोग।।

प्रीतिभोज में आजकल, किया प्रीति की खोज।
सहभोजन भी युद्ध - सा, प्रीति बिना ही भोज।।

हो  पूनम  का  चाँद  या,  जीवन  में  हो  प्यार।
पूर्ण   हुआ  घटने  लगा,  ऐसा  क्यों  करतार??

जब  रिश्ते  बनते  सुमन,  इक  दूजे  से आस।
रिश्ते   जब   रिसने   लगे,  तब  टूटे  विश्वास।।

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