Sunday, April 30, 2017

टूटा घर है

टूटा घर है
नंगा सर है

मगर हौसला
जीवन भर है

देखा रुख पे
जो अन्दर है

स्वजन हाथ में
अब खंजर है

अपनों से ही
लगता डर है

कोमल रिश्ता
अब जर्जर है

सुमन बदल तू
जो मंजर है

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