जिसपर जितना हक होता है
उस पर उतना शक होता है
यूँ रहते सब एक साथ पर
आपस में बकझक होता है
चौराहे में या मचान पर
अक्सर ही बकबक होता है
अंधियारा है, कहीं कहीं पर
चकाचौंध झक झक होता है
दहशतगर्दी का आलम यूँ
दिल में भी धक धक होता है
अगणित पेट बाँधकर सोते
ऐसा भी अबतक होता है
सोच सुमन हालात अभी के
माथा भी अक बक होता है
उस पर उतना शक होता है
यूँ रहते सब एक साथ पर
आपस में बकझक होता है
चौराहे में या मचान पर
अक्सर ही बकबक होता है
अंधियारा है, कहीं कहीं पर
चकाचौंध झक झक होता है
दहशतगर्दी का आलम यूँ
दिल में भी धक धक होता है
अगणित पेट बाँधकर सोते
ऐसा भी अबतक होता है
सोच सुमन हालात अभी के
माथा भी अक बक होता है
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