दौलतवाले आजकल, अब दिखते हलकान।
आमलोग सोते रहे, सुमन चदरिया तान।।
कालेधन पर यूँ पड़ी, सचमुच गहरी चोट।
कानूनी डर से कई, जला रहे अब नोट।।
धाक दिखाते थे कभी, जिसके नोट हजार।
सौ, पचास के सामने, वो हजार, लाचार।।
वोट बिका ईमान भी, जो भारत की शान।
वो संकट में जो बने, चुपके से धनवान।।
आमलोग खुश हैं अभी, परेशान कुछ लोग।
शासन को समरस मिला, जनता का सहयोग।।
आमलोग सोते रहे, सुमन चदरिया तान।।
कालेधन पर यूँ पड़ी, सचमुच गहरी चोट।
कानूनी डर से कई, जला रहे अब नोट।।
धाक दिखाते थे कभी, जिसके नोट हजार।
सौ, पचास के सामने, वो हजार, लाचार।।
वोट बिका ईमान भी, जो भारत की शान।
वो संकट में जो बने, चुपके से धनवान।।
आमलोग खुश हैं अभी, परेशान कुछ लोग।
शासन को समरस मिला, जनता का सहयोग।।
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