Thursday, September 7, 2017

स्वागत! सावन आया

स्वागत! सावन आया
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धरती ने ली फिर अंगराई, 
नयी जवानी वापस आई।
गुस्सा, बादल  का  भाया,
सुख दुःख दोनों शामिल हैं पर स्वागत! सावन आया।
 स्वागत! सावन आया।।

किसी की चाहत जम के बरसो, प्यारी बरखा रानी।
परदेशी   बालम  आते  ही,  जाने  की  जिद  ठानी।
रुके  जो  साजन  इसी  बहाने, सोच - सोच शरमाई,
झुकी  पलक  में छुपे प्यार ने, साजन को समझाया।
स्वागत! सावन -----

जीवन  देती   बरखा   रानी,  गिरा   गगन  से  पानी।
जिनके  छत  आकाश  उसी  पे, तू  करती मनमानी।
जो  भी   बाधा  तेरी   राह  पर, साथ  बहा  ले आई,
हर  विनाश  संकेत सृजन का, फिर  मौसम ने गाया।
स्वागत! सावन -----

सबको   जीवन  देने  वाली,  तू  कुदरत  की  रानी।
तेरी  आशिकी  हरियाली  से, गढ़ती  नयी  कहानी।
मत  छेड़ो  कुदरत  को  प्यारे, बात  समझ  न आई,
कुदरत  से  हम सबका जीवन, सुमन यही दुहराया।
स्वागत! सावन -----

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