बन सकता था जो ध्रुवतारा वो तारा बन के टूट गया
इक चाँद सलोना सबके लिए वो चंदा कैसे रूठ गया
किस्मत का खेल कोई कहता हम विवश हुए और मान रहे
या खुद की कुछ लापरवाही जो वक्त से पहले चूक गया
परिजन में मातु, पिता, भाई, बहनें, बेटा, संगी कितने
पर साथ नहीं कोई उस पल वो सबकी खुशियाँ लूट गया
कुछ सीख नया लेने की ललक आगे भी बढ़ने की चाहत
दर्पण सा चमक लिए हरदम क्यों दर्पण जैसे टूट गया
अपनी खातिर सुख पाला नहीं पर नाम उसे सुखपाल मिला
खुशबू की आस लिए बैठा पर साथ सुमन का छूट गया
इक चाँद सलोना सबके लिए वो चंदा कैसे रूठ गया
किस्मत का खेल कोई कहता हम विवश हुए और मान रहे
या खुद की कुछ लापरवाही जो वक्त से पहले चूक गया
परिजन में मातु, पिता, भाई, बहनें, बेटा, संगी कितने
पर साथ नहीं कोई उस पल वो सबकी खुशियाँ लूट गया
कुछ सीख नया लेने की ललक आगे भी बढ़ने की चाहत
दर्पण सा चमक लिए हरदम क्यों दर्पण जैसे टूट गया
अपनी खातिर सुख पाला नहीं पर नाम उसे सुखपाल मिला
खुशबू की आस लिए बैठा पर साथ सुमन का छूट गया
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