Sunday, May 20, 2018

प्यार का मौसम नहीं

चिट्ठियों के दिन गए अब तार का मौसम नहीं
लिखके दिल की बात के इजहार का मौसम नहीं

दिल में हलचल होती थी बस डाकिये को देख के
धड़कनें अब भी मगर दिलदार का मौसम नहीं

चिट्ठियों को फिर से पढ़ने का मजा था कुछ अलग
आज भी रिश्ते वही पर प्यार का मौसम नहीं

अपनों के संदेश पढ़ के हार में भी जीत थी
आज हारे जीत कर भी हार का मौसम नहीं

खुल के करते हैं सभी अब प्यार की बातें सुमन
है कठिन कर लें वो आँखें चार का मौसम नहीं

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