Sunday, May 20, 2018

चुपके - चुपके नैन लड़ाऊँ

काश! मुझे इक पंख मिले तो,
नील - गगन में उड़ उड़ जाऊँ।
और   वहीं  से  इन  नैनों  को,
हरदम   तेरा   दरश   दिखाऊँ।
चुपके - चुपके   नैन  लड़ाऊँ।।

आगे   जब  दर्पण  के  जाता,
खुद  के  बदले तुझको पाता।
तुम  ही तुम हो बन्द आँख में,
सपना  भी   ऐसा  ही  आता।
लाखों  टीस भले पर तुझको,
मैं   यादों   में   रोज  बसाऊँ।
चुपके - चुपके नैन -----

प्यास, प्यार की तबतक जीवन,
अगर  प्यार तो खुशियाँ आँगन।
मगर सदा पग - पग  पर  बाधा,
प्यार  लगे उलझन ही उलझन।
चाहत  फिर  भी  किसी  बहाने,
पास    तुम्हारे    हरदम   जाऊँ।
चुपके - चुपके नैन-----

जहाँ  प्यार  है  बजतीं पायल,
कौन नहीं है प्यार का कायल?
जीवन मिलन-विरह का खेला,
सुमन  विरह  पे  होता घायल।।
कैसे  फिर  हो  मिलन  हमारा, 
तरह - तरह के जुगत भिड़ाऊँ।
चुपके - चुपके नैन-----

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