छुप के जब मुस्कातीं आँखें
दिल को बहुत सतातीं आँखें
बंद रहे या खुली हों चाहे
सपने खूब दिखातीं आँखें
हँसना, रोना और उदासी
दिल का हाल बतातीं आँखें
धुल जाते तब मैल दिलों के
जब आँसू बरसातीं आँखें
आँसू भी गिरते नाटक में
भाव कहाँ ला पातीं आँखें
देखा हँस के, देख के हँसना
कितनों को भरमातीं आँखें
दर्द सुमन का कौन देखता
बिछीं हुई रह जातीं आँखें
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