Sunday, May 20, 2018

सपने खूब दिखाती आँखें

छुप के जब मुस्कातीं आँखें
दिल को बहुत सतातीं आँखें

बंद रहे या खुली हों चाहे
सपने खूब दिखातीं आँखें

हँसना, रोना और उदासी
दिल का हाल बतातीं आँखें

धुल जाते तब मैल दिलों के 
जब आँसू बरसातीं आँखें

आँसू भी गिरते नाटक में 
भाव कहाँ ला पातीं आँखें

देखा हँस के, देख के हँसना
कितनों को भरमातीं आँखें

दर्द सुमन का कौन देखता
बिछीं हुई रह जातीं आँखें

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