Sunday, May 20, 2018

फिर से मिलती जिन्दगी

लड़खड़ाती है कहीं तो, फिर सम्भलती ज़िन्दगी
हर  सबेरे ज़िन्दगी को, फिर से मिलती ज़िन्दगी

बनते  कुछ  सपने  हकीकत, पर  हजारों  टूटते
देखते  फिर  भी जो सपने, तो बदलती ज़िन्दगी

शोर  करता है  समन्दर, कब  नदी से हो मिलन
आशिकी मिलती है जैसे, तब मचलती ज़िन्दगी

हर  बड़े  छोटे  की  यारों, ज़िन्दगी  इक  जंग है
जीत कर इस जंग को, आगे निकलती ज़िन्दगी

एक  मुरझाया  इधर  तो, दूसरा  खिलता सुमन
धीरे - धीरे मस्त होकर, फिर से चलती ज़िन्दगी 

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!