लड़खड़ाती है कहीं तो, फिर सम्भलती ज़िन्दगी
हर सबेरे ज़िन्दगी को, फिर से मिलती ज़िन्दगी
बनते कुछ सपने हकीकत, पर हजारों टूटते
देखते फिर भी जो सपने, तो बदलती ज़िन्दगी
शोर करता है समन्दर, कब नदी से हो मिलन
आशिकी मिलती है जैसे, तब मचलती ज़िन्दगी
हर बड़े छोटे की यारों, ज़िन्दगी इक जंग है
जीत कर इस जंग को, आगे निकलती ज़िन्दगी
एक मुरझाया इधर तो, दूसरा खिलता सुमन
धीरे - धीरे मस्त होकर, फिर से चलती ज़िन्दगी
हर सबेरे ज़िन्दगी को, फिर से मिलती ज़िन्दगी
बनते कुछ सपने हकीकत, पर हजारों टूटते
देखते फिर भी जो सपने, तो बदलती ज़िन्दगी
शोर करता है समन्दर, कब नदी से हो मिलन
आशिकी मिलती है जैसे, तब मचलती ज़िन्दगी
हर बड़े छोटे की यारों, ज़िन्दगी इक जंग है
जीत कर इस जंग को, आगे निकलती ज़िन्दगी
एक मुरझाया इधर तो, दूसरा खिलता सुमन
धीरे - धीरे मस्त होकर, फिर से चलती ज़िन्दगी
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