सोच समझकर चलना होगा
मुमकिन आगे बढ़ना होगा
जीवन के ऊबड़ खाबड़ में
गिरकर पुनः संभलना होगा
गलत फैसला अपना भी तो
उसको तुरत बदलना होगा
जीवन भर है मकड़जाल पर
बन के चतुर निकलना होगा
अहंकार को अपनाने पर
बार बार फिर मरना होगा
हरदिन जीवन समझौता है
जिसे प्यार से पढ़ना होगा
सफल जिन्दगी अगर चाहिए
प्यार सुमन को करना होगा
मुमकिन आगे बढ़ना होगा
जीवन के ऊबड़ खाबड़ में
गिरकर पुनः संभलना होगा
गलत फैसला अपना भी तो
उसको तुरत बदलना होगा
जीवन भर है मकड़जाल पर
बन के चतुर निकलना होगा
अहंकार को अपनाने पर
बार बार फिर मरना होगा
हरदिन जीवन समझौता है
जिसे प्यार से पढ़ना होगा
सफल जिन्दगी अगर चाहिए
प्यार सुमन को करना होगा
No comments:
Post a Comment