Sunday, May 20, 2018

तेरा "मैं"हो जाता "हम" है

कुछ ना कुछ सबमें दमखम है
कौन यहाँ पर किससे कम है

सुख दुख सबके अपने अपने
अपनी खुशियाँ अपना गम है

मुस्काते चेहरे की आँखें
गौर करो तो मिलती नम है

रात अभी तो दिन भी होते
बदलेगा अब जो आलम है

गरमी, बारिश, पतझड़ है तो
यहाँ प्यार का भी मौसम है

रोज मिटाने सूरज आता
जहाँ कहीं थोड़ा भी तम है

साथ सुमन के होकर देखो
तेरा "मैं" हो जाता "हम" है

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