कहने को तो बात बहुत है
कहने की औकात बहुत है
मगर सामने जब तुम होती
लगता ये सौगात बहुत है
गली - गली में झाँक रहा हूँ
कहाँ छुपी हो आँक रहा हूँ
प्यार तुम्हारा नहीं मिला तो
धूल सड़क पर फाँक रहा हूँ
इस जीवन का मूल प्यार है
काँटों के सँग फूल प्यार है
जब वसंत उतरे धरती पर
तब मौसम अनुकूल प्यार है
जिसको देखो व्यस्त दिखे हैं
जो थकते वो पस्त दिखे हैं
प्रियतम की यादों में खोयी
वो आँखें फिर मस्त दिखे हैं
जीवन सचमुच एक राज है
सबके सर पे सुमन काज है
चक्रव्यूह सा ये कल वो कल
जी लो जीवन सिर्फ आज है
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