Sunday, May 20, 2018

ले मशाल फिर आना सीखो

कुछ तो ताना बाना सीखो
फिर तुम आग लगाना सीखो

सबसे अलग अगर दिखना तो
आपस में लड़वाना सीखो

बिल्ली के झगड़े में रोटी
बन्दर बन के खाना सीखो

जनता जाए भले भाड़ में
गद्दी को हथियाना सीखो

आमलोग के उम्मीदों को
वादों में भरमाना सीखो

बात चेतना की जो करता
उसको भी मरवाना सीखो

रक्तबीज सा मगर सुमन तू
ले मशाल फिर आना सीखो

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!