ये जीवन इक बहती धारा, नित सीख नया दे जाती है।
फिर जीने खातिर चुन चुनके, कुछ खुशियाँ भी ले आती है।।
ये जीवन -----
हम जान रहे सबसे ज्यादा, हर उमर में बोध हुआ इतना,
पीछे मुड़ के जब देखा तो, इस भरम पे क्रोध हुआ कितना,
फिर भी हम सीख कहाँ पाए, ये सीख हमें सिखलाती है।
ये जीवन -----
धोखे ही अक्सर मिलते हैं, पर मिलता सच्चा संत नहीं,
जीवन भर चुनते सच्चे को, इस सीख का कोई अंत नहीं,
अनुभव मिलता है ठोकर से, ठोकर ही राह बताती है।
ये जीवन -----
दौलत, शोहरत की लालच में, हम भटक रहे दिन रात यहाँ,
ये दुनिया प्यार की थाती है, बस प्यार एक सौगात यहाँ,
फिर लड़ते क्यों आपस में सुमन, हम सबको पाठ पढ़ाती है।
ये जीवन -----
फिर जीने खातिर चुन चुनके, कुछ खुशियाँ भी ले आती है।।
ये जीवन -----
हम जान रहे सबसे ज्यादा, हर उमर में बोध हुआ इतना,
पीछे मुड़ के जब देखा तो, इस भरम पे क्रोध हुआ कितना,
फिर भी हम सीख कहाँ पाए, ये सीख हमें सिखलाती है।
ये जीवन -----
धोखे ही अक्सर मिलते हैं, पर मिलता सच्चा संत नहीं,
जीवन भर चुनते सच्चे को, इस सीख का कोई अंत नहीं,
अनुभव मिलता है ठोकर से, ठोकर ही राह बताती है।
ये जीवन -----
दौलत, शोहरत की लालच में, हम भटक रहे दिन रात यहाँ,
ये दुनिया प्यार की थाती है, बस प्यार एक सौगात यहाँ,
फिर लड़ते क्यों आपस में सुमन, हम सबको पाठ पढ़ाती है।
ये जीवन -----
1 comment:
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (04-06-2018) को "मत सीख यहाँ पर सिखलाओ" (चर्चा अंक-2991) पर भी होगी।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
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