Monday, September 2, 2019

मिला नहीं वो मीत

झूमर, कजरी लिख दिया,  कुछ सावन के गीत।
गाऊँ जिसके साथ मैं,  मिला नहीं  वो मीत।।

ताकत से मुमकिन सुमन, बस तन पर अधिकार।
मुल्क जीतते जंग से, दिल को जीते प्यार।।

पढ़ा, पढ़ूँगा, पढ़ रहा, शेष बहुत  अज्ञान।
पर सत्ता से जुड़ उसे, मिला अचानक ज्ञान।।

पाँच ट्रिलियन देश का, होगा कारोबार।
जी डी पी का आँकड़ा, देख रही सरकार।।


करता आज शिकार तू, लेकर जो हथियार।
तुम भी कल मुमकिन बनो, उसका सुमन शिकार।।

2 comments:

कविता रावत said...

करता आज शिकार तू, लेकर जो हथियार।
तुम भी कल मुमकिन बनो, उसका सुमन शिकार।।
बहुत खूब! आज उनका कल अपना , दिन सभी के आते हैं

Enoxo said...

शानदार


ताकत से मुमकिन सुमन, बस तन पर अधिकार।
मुल्क जीतते जंग से, दिल को जीते प्यार।।

जबरदस्त

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