Sunday, October 13, 2019

कर निदान नादानी मत कर

दरिया  को  तूफानी  मत  कर 
सच  से  आनाकानी  मत  कर 

ऐ  शासक! बदलाव  करो पर 
खबरों  पे  सुल्तानी  मत  कर

केवल  सत्ता  की   खबरों  से
जनता  को  अज्ञानी  मत कर 

आमजनों   की   जो  लाचारी 
कर निदान, नादानी  मत कर 

बिन  बोले पब्लिक सब जाने 
पब्लिक से बचकानी मत कर

हर  शासक  मानव  ही  होता 
मानव  को असमानी मत कर

सुमन   मीडिया   वालों  चेतो 
आँसू  को यूँ  पानी  मत  कर 

1 comment:

richa said...

मानव की आसमानी मत कर दरिया को तूफानी मत कर ...
अति सुंदर प्रस्तुती ...
लोकतंत्र और सत्ता का अद्भुत संगम ..
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