Thursday, September 17, 2020

सुन भी लो फरियाद मुसाफिर

आमजनों  को आस मुसाफिर
तुम जो  ठहरे खास मुसाफिर
फिर क्यूँ तुमने इक झटके में
तोड़  दिया  विश्वास मुसाफिर

          वादे  -  नारे,   वाद   मुसाफिर
          करते  हम  सब याद मुसाफिर
          देख बेबसी अब जन - जन की
          सुन भी लो फरियाद मुसाफिर

घायल सबका मर्म मुसाफिर
सहलाओ यह धर्म मुसाफिर
ताश - महल तू छोड़ बनाना
कर ले सच्चा कर्म मुसाफिर

          लोग  घरों  में  बन्द  मुसाफिर
          आधिकारी स्वच्छंद मुसाफिर
          ऊपर   से   तुम  लगा  रहे  हो
          टाटों    में    पैबन्द   मुसाफिर

छूटा जिसका काम मुसाफिर
दो  जीने  को  दाम मुसाफिर
ऐसा  मुमकिन  नहीं हुआ तो
होगे  तुम  बदनाम  मुसाफिर

          बिगड़े  हैं  हालात मुसाफिर
          आहत हैं जज्बात मुसाफिर
          तंत्र  सुधारो  तुम शासन का
          तभी  बनेगी  बात मुसाफिर

भारत  अपना देश मुसाफिर
बदल रहा परिवेश मुसाफिर
चाह  सुमन  की  तू कर्मों से
दो   नूतन  संदेश  मुसाफिर

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