लोगों के सपनों को लिख, कम लिखना या ज्यादा लिख
दर्द हमेशा दर्द ही रहता, उलटा लिख या सीधा लिख
सब अपने जीवन की उलझन, सुलझाते अपने ढंग से
अपनी उलझन सुलझाने को, किया जो खुद से वादा लिख
आमलोग ही नींव के पत्थर, जिस पर खड़ा महल कोई
वो ही असली राजा उसको, फर्जी लिख या प्यादा लिख
आज से अच्छा कल हो अपना, सबकी कोशिश रहती है
अगली पीढ़ी भी यूँ सोचे, पूरा लिख या आधा लिख
बेहतर से बेहतर हो दुनिया, ये साहित्य सिखाता है
मगर सुमन तू राह में सम्भव, आने वाली बाधा लिख
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