जबतक जीवन तबतक उलझन।
इस उलझन से सजता आँगन।।
जबतक ------
महल अटारी या झोपड़ियाँ,
तोंद कहीं तो सूखी अतड़ियाँ।
रोते देख रहा जब सबको,
भटक रहा तब से मेरा मन।।
जबतक ------
अपने सपनों को बुनते हम,
पूरन हो रस्ते चुनते हम।
कोशिश छोड़ी जिसने उसको,
अपना मन भी लगता निर्जन।।
जबतक ------
नीति नियम पर जो चलते हैं,
मिहनत करके वो पलते हैं।
इस पथ पर आजीवन चलकर,
सुमन सफल होता है जीवन।।
जबतक ----
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