Tuesday, November 10, 2020

मरे हुए को मारे साहिब!

बहुत लगे तुम प्यारे साहिब
साबित हुए नकारे साहिब

आस भरी आंखों से जनता
अब भी तुझे निहारे साहिब

मद में चूर हुए तुम ऐसे
तेरे  वारे  न्यारे  साहिब!

पहले से भी हाल बुरा है
मरे हुए को मारे साहिब?

कौन जानता कब गद्दी से
जनता तुझे उतारे साहिब?

चीख सुनो जो हर कोने में
जन जन तुझे पुकारे साहिब

आस सुमन को रौशन होगा
ले आए अंधियारे साहिब!

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!