गीत, गजल, कविता में हमने, अपना ही विश्वास लिखा
हमको भी इतिहास लिखेगा, हमने भी इतिहास लिखा
अपनी ही तारीफ को खुद से, लिखते, पढ़ते अगर कहीं
भीड़ वहाँ शब्दों की सचमुच, बस हमने बकवास लिखा
वक्त गुजरते रहते सबके, समय मगर इन्साफ करे
पीढ़ी दर पीढ़ी यादों में, किसने, कितना खास लिखा
नियम टूटते जब सामाजिक, तब मानवता घुटती है
खून के आँसू जिन आँखों में, उसपर क्यूँ परिहास लिखा
आमजनों की दुखती रग को, सहलाना साहित्य सुमन
लोक-जागरण यज्ञ साथ में, हर लोगों में आस लिखा
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