Saturday, December 12, 2020

यह जीवन का असली धन है

सबको हरदम कुछ उलझन है
यह जीवन का असली धन है
तपकर उलझन से निकले जो
वो अपना मन, वही सु-मन है

          दुख जीवन में अनुभव देता
          कला और कुछ सौरव देता
          मन  विचलित होने से रोके
          जीने  का  यह  वैभव  देता

सुख की घड़ियाँ कितनी कम हैं
केवल दुख में  हम  ही  हम  हैं
हँसते  होंठ  बहुत  मिलते  पर
उनकी  आँखें  भी  क्यूँ नम  हैं?

          सोच नहीं सब कुछ पैसा है
          वो  ऐसा  क्यूँ  ये वैसा  है?
          कर  विचार तू अन्तर्मन में
          दुख बतलाता सुख कैसा है?

जीवन इक बहती धारा है
जो भी पाया वो  प्यारा  है
सुख दुख की बातों से आगे
पाने  को  तो  जग सारा है

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