पहली बार मिला जो तुमसे, तुम आँखों के नूर हुए
आए पास तुम्हारे जितने, हम उतने क्यूँ दूर हुए
साथ - साथ जीने - मरने की, कसमें खायीं थीं हमने
याद तुझे वो बातें हैं या, वादे सभी फितूर हुए
इक दूजे की याद में खोना, कितना अच्छा लगता था
तुमको पाने की ख्वाहिश में, हम कितने मगरूर हुए
भूख जरूरत पहली सबकी, तभी प्यार की बातें भी
दूर किया रोटी ने तुझसे, इस कारण मजबूर हुए
यादें सभी पुरानी अक्सर, घायल करतीं रहतीं हैं
तुम खुश रहना मगर सुमन के, सपने चकनाचूर हुए
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