Saturday, December 12, 2020

सपने चकनाचूर हुए

पहली बार मिला जो तुमसे तुम आँखों के नूर हुए
आए पास  तुम्हारे  जितने हम उतने क्यूँ दूर हुए

साथ साथ जीने मरने की कसमें खायीं थीं हमने
याद तुझे  क्या वो बातें या वादे सभी फितूर हुए

इक दूजे की याद में खोना कितना अच्छा लगता था
तुमको पाने की ख्वाहिश में हम कितने मगरूर हुए

भूख जरूरत पहली सबकी तभी प्यार की बातें भी
दूर  किया रोटी  ने तुझसे  इस कारण मजबूर  हुए

यादें सभी  पुरानी अक्सर घायल  करतीं  रहतीं हैं
सदा रहो खुश मगर सुमन के सपने चकनाचूर हुए

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