कोई नहीं बहाना होगा
तुझको निश्चित जाना होगा
जब किसान ठिठुरे सड़कों पर
कल तुझको पछताना होगा
डटे शांति से अभी कृषक पर
क्या क्या और निशाना होगा?
ऐ शासक! तू चेत नहीं तो
मुश्किल फिर से आना होगा
इतिहासों में तुझे नाम भी
अपना दर्ज कराना होगा
जनता जाने सब कुछ चाहे
जितना ताना बाना होगा
सुमन समय पर संभलो वरना
फिर नसीब तहखाना होगा
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