अब लोगों में प्यार दिखे हैं।
कहीं नहीं सरकार दिखे हैं।।
जीवनदायिनी गंगा में क्यूँ
लाशों के अम्बार दिखे हैं??
गिनती मुश्किल मरे लोग की
कोई नर-संहार दिखे हैं??
शासन के गुण गाते रहते
ऐसा क्यूँ अखबार दिखे हैं??
सच्ची खबर यही है भैया
लोग-बाग लाचार दिखे हैं!!
बड़बोलापन बन्द करो अब
आमलोग तैयार दिखे हैं।।
मिलके सुमन हमेशा टूटे
अहंकार विस्तार दिखे हैं
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