Friday, May 28, 2021

गिरवी मुस्कान आज है

वादे थे उनके प्यारे वो सुल्तान आज है
खुशियाँ लुटीं चमन की वीरान आज है

साँसें भी अपनी गिनने को मजबूर लोग हैं
हर गाँव, शहर, लगता शमशान आज है

इक आदमी की जिद्द ने कुछ हाल यूँ किया
शासन के हाथ गिरवी मुस्कान आज है

अपनों के सामने अगर अपना कोई मरे
वो तड़प को देख रोता आसमान आज है

सदियों से लड़ते आए जीतेंगे आगे भी
बदलेगा वो सुमन जो नादान आज है

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