हर सवाल क्यों टाल रहे हो
बजा सिर्फ तुम गाल रहे हो
जो सवाल पूछे क्यों उनसे
बैर हृदय में पाल रहे हो
बस सवाल से बढ़ती दुनिया
रस्ता अगर निकाल रहे हो
सेवक चुना तुझे लोगों ने
उनको कहाँ संभाल रहे हो
जनता को उलझाने खातिर
फेंक रोज तुम जाल रहे हो
तुम सरताज तभी तक गर तू
खुद की भूल खंगाल रहे हो
क्या चुनकर तिकड़म से आए
सचमुच सुमन सवाल रहे हो
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