प्रीत जगावत आस मिलन की, हृदय उठत हिलकोर।।
पीरितिया! देत -----
चाह मिलन की, पंख पसारे, वन में नाचत मोर।
पिया निहारत जुग बीतल, कब, मिलिहें चाँद, चकोर।।
पीरितिया! देत -----
खुशी मिलन है, विरह में पीड़ा, आँसू दोनों ओर।
मिलन पूर्व या बाद विरह के, मौन मचावत शोर।।
पीरितिया! देत -----
मूल - जगत का ढाई आखर, प्रेमहिं करें इंजोर।
जस तस मन की बात सुनावत, नहीं सुमन चितचोर।।
पीरितिया! देत -----
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसादर