जो विवेक से जीवन जीते, उनका फर्ज बहुत होता
तब दीवार बने आँगन तो, दिल में दर्द बहुत होता
रोना - गाना समय समय पर, हँसना पड़ता जीवन में
जो आँसू, मुस्कान खास हों, उसका अर्थ बहुत होता
अनजाने में प्यार उन्हीं से, जिनसे अपनापन बढ़ता
फिर रिश्तों में मजबूती से, नकली दर्प बहुत होता
आते - जाते लोग रहेंगे, पर तहजीब सलामत हो
सन्तानों पर मातु -पिता का, सच में कर्ज बहुत होता
दुनिया चलती अपने ढंग से, भले सुमन की जो मर्जी
जब अपने विपरीत दिखे तो, घायल मर्म बहुत होता
No comments:
Post a Comment