रामचन्द्र कह गए सिया से, ऐसा कलयुग आएगा।
चुनकर जो राजा आएगा, सबको नाच नचाएगा।।
राज सभा में चारण के सँग, होंगे मंत्री अज्ञानी।
लोकतंत्र कहने को होगा, करेंगे राजा मनमानी।
जिसके वादे जितने झूठे, वोट वही ले जाएगा।।
चुनकर जो राजा -----
संत वेष में चोर उचक्के, शासक के प्यारे होंगे।
जो करीब राजा के उनके, वारे और न्यारे होंगे।
लाठी लेकर आमजनों को, वही लोग हरकाएगा।।
चुनकर जो राजा -----
मुद्दा केवल मंदिर, मस्जिद, रोज बढ़ेगी मँहगाई।
आपस में नफरत फैलेगी, लड़ेंगे भाई सँग भाई।
घायल होगा चमन हमारा, सुमन रोज मुरझाएगा।।
चुनकर जो राजा -----
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