आए जो पहले बन याचक
वही बने अब अपने शासक
अच्छे दिन की आस लगाए
आमलोग दिखते ज्यों चातक
जब तब रोना या चिल्लाना
तुम माहिर करने में नाटक
शासन कर लेकिन मत बाँटो
भेद - भाव हरदम है घातक
सभी विषय तुम जाने इतना
जितना जाने सब अध्यापक
किसके मन की कौन सुने जो
जबरन बने हुए हो वाचक
बात सुमन की मानो प्यारे
अपनी सोच बनाओ व्यापक
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