Saturday, December 17, 2022

तू अपने सपने को बुन

मैं  तुझ  में,  तू  मुझ  में  गुम, मैं तुझको, तू मुझको सुन।
पथ जीवन के बहुत कंटीले, केवल उसमें सुमन को चुन।।

जीवन  में  संघर्ष  जहाँ  है, सच  मानो  उत्कर्ष  वहाँ है।
आती जाती सर्दी - गर्मी,  पर  बारिश बिन हर्ष कहाँ है।
बदलो तुम खुद को मौसम सा, नहीं व्यर्थ में माथा धुन।।
मैं तुझ में -----

जीवन  में कितने गम हैं, खुशियाँ तो बिल्कुल कम हैं।
मगर खुशी में खुशी नहीं क्यूँ, आसपास ऑंखें नम हैं।
अगर  पड़ोसी  गम में कैसे, अपने घर पायल रुनझुन??
मैं तुझ में -----

प्रतिभाओं  को  बढ़ने  दो, और शिखर पर चढ़ने दो।
उनको अपने ही अनुभव से, अपनी दुनिया गढ़ने दो।
सभी  घोंसला  अपना बुनते, तू अपने सपने को बुन।।
मैं तुझ में -----

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