Saturday, December 17, 2022

तब मन्दिर सा घर बने

ऊँच - नीच रस्ते मिले, रहा मगर खुशहाल।
सुमन और श्यामल चले, साथ बयालिस साल।।

दो से हम चौदह हुए, मिले सभी के हाथ।
दिन पुणीत जो आज हैं, सभी हमारे साथ।।

तब मन्दिर सा घर बने, जब दम्पत्ति में प्यार।
नोंक झोंक, खटपट मगर, रहे उचित व्यवहार।।

सबका जीवन है सदा, व्यवहारों का खेल।
दुख में सुख महसूस हो, अगर आपसी मेल।।

ईश कृपा से अब तलक, सुखद रहा अहसास।
हम दोनों में प्यार का, शेष रहे यह प्यास।।

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