अब संसद में देते गाली, ऐसा अमृत-काल अभी
संविधान की कसमें खाकर, तोड़ रहे कानूनों को
लोकतंत्र की यूँ रखवाली, ऐसा अमृत-काल अभी
नफरत मजहब की फैलाने, में शासक सहयोग करे
कदम कदम पे नीयत काली, ऐसा अमृत-काल अभी
आजादी के बाद हुआ है, जो कुछ हासिल भारत को
शुरू हुई उसकी बिकवाली, ऐसा अमृत-काल अभी
जहाँ कृषक - मजदूर खुशी हों, देश वही बढ़ता आगे
पेट करोड़ों के हैं खाली, ऐसा अमृत-काल अभी
मर्दन महिला-मान किया जो, अब करते महिला-वंदन
उन्हें चाहिए इस पर ताली, ऐसा अमृत-काल अभी
रंगे - सियारों को पहचानो, देश बचेगा तभी सुमन
या फिर होगी छोटी थाली, ऐसा अमृत-काल अभी
1 comment:
बहुत खूब
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