जब राजा सुनते नहीं, आमजनों के क्लेश।
दुर्योधन की जिद्द ने, सदा जलाया देश।।
राजा आए, चल गए, दिल्ली सदा गवाह।
एक बार दिल्ली पुनः, होने लगी तबाह।।
चाहे कारण जो गढ़ें, मगर बहा है खून।
पूछ रहे हैं आमजन, कहां गया कानूनॽ
शासन जिसके हाथ में, पूछेंगे सब प्रश्न।
ध्यान इधर भी दीजिए, जरा छोड़कर जश्न।।
आमजनों को चाहिए, शांति और सद्भाव।
शासक का कौशल सुमन, करता दूर तनाव।।
दुर्योधन की जिद्द ने, सदा जलाया देश।।
राजा आए, चल गए, दिल्ली सदा गवाह।
एक बार दिल्ली पुनः, होने लगी तबाह।।
चाहे कारण जो गढ़ें, मगर बहा है खून।
पूछ रहे हैं आमजन, कहां गया कानूनॽ
शासन जिसके हाथ में, पूछेंगे सब प्रश्न।
ध्यान इधर भी दीजिए, जरा छोड़कर जश्न।।
आमजनों को चाहिए, शांति और सद्भाव।
शासक का कौशल सुमन, करता दूर तनाव।।
आमजनों को चाहिए, शांति और सद्भाव।
ReplyDeleteशासक का कौशल सुमन, करता दूर तनाव।।
...लेकिन आमजन आम बनकर रह जाता है
बहुत खूब!