Thursday, May 21, 2020

हर मीठे सुर खातिर आघात जरूरी है

सर्दी, गर्मी थोड़ी बरसात जरूरी है
हर मीठे सुर खातिर आघात जरूरी है

वो रिश्ते क्यूँ ढोना जो रिसने लग जाए
आपस में जोड़े वो जज्बात जरूरी है

मिलते जीवन में नित उबड़ खाबड़ रस्ते
गर चलना तो होना निष्णात जरूरी है

क्यूँ बातें मतलब की मतलब से करते हम
जबकि बिन मतलब भी कुछ बात जरूरी है

हो भले उमर जितनी पर खुशियाँ पाने को
बस अपनेपन का इक दिन-रात जरूरी है

हालात जहां बदतर फिर उसे बदलने को
हर शख्स में आशा की सौगात जरूरी है

खुद से, तुमसे, सबसे जो सीखा रोज सुमन
कुछ अनुभव की बातें बेबात जरूरी है

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