आमजनों को आस मुसाफिर
तुम जो ठहरे खास मुसाफिर
फिर क्यूँ तुमने इक झटके में
तोड़ दिया विश्वास मुसाफिर
वादे - नारे, वाद मुसाफिर
करते हम सब याद मुसाफिर
देख बेबसी अब जन - जन की
सुन भी लो फरियाद मुसाफिर
घायल सबका मर्म मुसाफिर
सहलाओ यह धर्म मुसाफिर
ताश - महल तू छोड़ बनाना
कर ले सच्चा कर्म मुसाफिर
लोग घरों में बन्द मुसाफिर
आधिकारी स्वच्छंद मुसाफिर
ऊपर से तुम लगा रहे हो
टाटों में पैबन्द मुसाफिर
छूटा जिसका काम मुसाफिर
दो जीने को दाम मुसाफिर
ऐसा मुमकिन नहीं हुआ तो
होगे तुम बदनाम मुसाफिर
बिगड़े हैं हालात मुसाफिर
आहत हैं जज्बात मुसाफिर
तंत्र सुधारो तुम शासन का
तभी बनेगी बात मुसाफिर
भारत अपना देश मुसाफिर
बदल रहा परिवेश मुसाफिर
चाह सुमन की तू कर्मों से
दो नूतन संदेश मुसाफिर
No comments:
Post a Comment