स्वारथ भी बहुतेरे हैं
आनी - जानी दुनिया में
क्या तेरे, क्या मेरे हैं
पार लगे क्या एक जनम
सात जनम के फेरे हैं
लोभ जगाए बातों से
ऐसे बहुत चितेरे हैं
आमजनों पर कसे हुए
कानूनों के घेरे हैं
कमी भले साहब की पर
सभी दोष बस तेरे हैं
जगो, जगाओ घर घर में
जहा सुमन के डेरे हैं
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