खुद पिंजड़े से निकल रहे हैं
साबित राजा हवा - हवाई
वादा करके फिसल रहे हैं
मिलते लोग कहाँ अब ऐसे
जो वादों पर अटल रहे हैं
टूट रहा भ्रम युवा - वर्ग का
परिवर्तन को मचल रहे हैं
हर दिन परिवर्तन भी होगा
कौन धरा पर अचल रहे हैं
सीख शलाका व्यक्तित्वों से
जीवन में जो सफल रहे हैं
जो उलझे थे वाक् - जाल में
अभी सुमन वो संभल रहे हैं
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