ये दुनिया हम सबकी भाई, तुम समझो या न समझो
राम सभी के कृष्ण कन्हाई, तुम समझो या न समझो
लहु हमारा एक रंग का, इक समान ही दिखते हम
फिर क्यों आपस में रुसवाई, तुम समझो या न समझो
समझ नहीं जागीर ये दुनिया, आते - जाते रहते हम
निज - कर्मों की शेष कमाई, तुम समझो या न समझो
गद्दी तुमको उन्होंने दी है, जो गुरबत में जीते हैं
राजा साबित हवा हवाई, तुम समझो या न समझो
है गवाह इतिहास हमारा, आम लोग जग जाते जब
कितनों को औकात दिखाई, तुम समझो या न समझो
वक्त से पहले चलो संभल के, या पछताओ आगे भी
जाग उठी सचमुच तरुणाई, तुम समझो या न समझो
अलख जगाना काम कलम का, लाखों सुमन कलम थामे
फिर मत कहना आग लगाई, तुम समझो या न समझो
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