Tuesday, November 10, 2020

वतन से प्यार दिखता क्या?

भले  मौसम  गुलाबी  पर, कहीं गुलजार दिखता क्या?
बुरी  हालत  सुधरने  का, कहीं  आसार  दिखता क्या?

मिले  दुत्कार  काबिल  को, उसे  वो  कैद  कर सकते
अभी  सेवक  बने  राजा, वतन  से प्यार दिखता क्या?

मदारी  की  तरह  अक्सर, सियासी  खेल  दिखलाते
ठगी  रह  जाती  है जनता, कहीं उद्धार दिखता क्या?

गलत  लोगों  को  चुनने  का, लगे आरोप जनता पर
बुरे  प्रत्याशी  जब  सारे, नया  उपचार  दिखता क्या?

सुमन  लिखने को सब लिखते, बने हैं आईने कितने
अधिक रचनाओं में देखो, नया उपहार दिखता क्या?

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