दुर्गा पूजा देश में, पर्व एक है ख़ास।
अपने जीवन में लगा, पहली बार उदास।।
बन्द रहेंगे हर जगह, पंडालों के द्वार।
महमारी ने डस लिया, खुशियों का संसार।।
प्रतिबंधित है घूमना, हो करके स्वच्छंद।
खान-पान, दूकान सब, अबकी होगा बन्द।।
आफत दुनिया पर अभी, जन जन हैं बेचैन।
भारत में तो खासकर, हैं उदास हर नैन।
लेकिन जहाँ चुनाव है, वहाँ खास है रंग।
तोड़ नियम सारे अभी, शुरू सियासी जंग।।
दुर्गा दुर्गतिनाशिनी, कष्ट करो यह दूर?
सब तेरी सन्तान जो, बेबस औ मजबूर।।
तू कल्याणी माँ सुमन, पूजन करते लोग।
मानव के कल्याणहित, भगा दूर यह रोग।।
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