खुद से खुद की यूँ बड़ाई मत करो
और ज्यादा जग - हँसाई मत करो
भाईयों को बाँटने पर जोर क्यों
अब दहाई को इकाई मत करो
देश भक्ति क्या तुम्हारी देख ली
और भारत की भलाई मत करो
भूल से तुमको चुना ये भूल थी
तख्त से तुम बेबफाई मत करो
अपनी गलती को छुपाने के लिए
पूर्वजों की नित बुराई मत करो
मन की बातें छोड़के जन की सुनो
और लोगों से ढिठाई मत करो
हाल देखो देश का फिर बोलना
नेक नीयत की दुहाई मत करो
चाल सतरंगी कुबेरों की समझ
उनसे ज्यादा आशनाई मत करो
विश्व में भारत सुमन इक नाम है
शान में इसकी ढिलाई मत करो
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